जैविक खेती (Organic Farming) कृषि की वह पद्धति है जिसमे की कार्बनिक खाद,वानस्पतिक अवशिष्ट,जैव उर्वरक,जानवरों के अवशिष्ट आदि का प्रयोग करके खेती करते है | इससे हमारी प्राकृतिक का किसी भी प्रकार से नुकसान नहीं पहुचता है | और हमारी मिट्टी की उर्वरा शक्ति को भी बनाए रखता है | जैविक खेती से हमारे वातावरण की भूमि, जल एवं वायु प्रदूषित नहीं होती है | जैविक खेती (Organic Farming) से फसल उत्पादन मे वृद्धि होती है और साथ ही साथ उत्पाद की गुणवता भी अच्छी होती है | यह वातावरण को टिकाऊ तथा सुगम्य बनाने मे सहायता करती है | यह मनुष्य तथा पशुओ की स्वास्थ्य की रक्षा करता है | जैविक खेती रासायनिक खेती के अपेक्षा बहुत ज्यादा लाभदायक होता है इसमे लागत भी कम आता है और यह सस्ती, स्वावलम्बी एवं स्थाई होता है|
जैविक खेती क्या है [ What is organic farming ]
जैविक खेती (Organic Farming) कृषि की वह पद्धति है जिसमे की कार्बनिक खाद,वानस्पतिक अवशिष्ट,जैव उर्वरक,जानवरों के अवशिष्ट आदि का प्रयोग करके खेती करते है | इसमे गोबर की खाद,कम्पोस्ट,मुर्गी की खाद,खलिया,पुआल,भूसा,फार्म अवशिष्ठ,मछली का खाद,वर्मी कम्पोस्ट,तथा गो मूत्र आदि का प्रयोग करके खेती करते है | जैविक खेती प्रकृति के साथ सामंजस्य बना के चलती है ना की उसके विरुद्ध । इसके लिये ऐसी तकनीक का प्रयोग किया जाता है जो कि अच्छी फसल देने के साथ–साथ हमारी प्रकृति और उसमें रहने वाले लोगों को किसी भी प्रकार का नुकसान न पहुँच पाए । और यह सस्ती, स्वावलम्बी एवं स्थाई होता है| जैविक खेती में केवल एक ही विधि का प्रयोग नहीं किया जाता है बल्कि इसमें अलग-अलग विधियों को मिला कर इस्तमाल में लाया जाता है ताकी अधिक- अधिक लाभ मिल सके । जैसे – हरी खाद को खेती-बाङी कि कुछ और सावधानियों के साथ प्रयोग करने से अधिक लाभ मिलता है जबकी इन्हें अकेले प्रयोग करने से उतना अधिक लाभ नहीं मिलता हैं ।

जैविक खेती से किसानों को होने वाले लाभ [ Benefits to farmers from organic farming ]
- जैविक खेती मे जैविक खाद के उपयोग करने से भूमि की गुणवत्ता में सुधार आता है।
- भूमि की जल धारण क्षमता बढ़ती हैं।
- Organic Farming मे भूमि से पानी का वाष्पीकरण कम हो जाता है।
- Organic Farming से भूमि की उपजाऊ क्षमता में वृध्दि आती है |
- सिंचाई अंतराल में वृध्दि होती है ।
- रासायनिक खाद पर निर्भरता कम हो जाती है।
- फसलों की उत्पादकता में वृध्दि होती है।
- मृदा जल प्रदूषण से बचाव होता है |
- मृदा की दशा मे सुधार आता है |
- रासायनिक उर्वरकों तथा कीटनाशी दवाओ के उपयोग मे कमी आती है |
- उपभोक्ता की मांग मे वृद्धि होती है |
- उत्पादन की गुणवता मे सुधार आता है |
- मनुष्यों तथा पशुओ की स्वास्थ्य की रक्षा करती है |
- वातावरण को टिकाऊ तथा सुगम्य बनाने मे सहायता करता है |
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कीट तथा बीमारियों का जैविक प्रबंधन
- खेत मे करंज तथा नीम की खल्ली का प्रयोग करना |
- फेरोमोन ट्रैप के माध्यम से कीङो को पकङना |
- प्रतिरोधी पौधों का प्रयोग करना |
- कीङो तथा बीमारियो की रोकथाम के लिए प्राकृतिक शत्रुओ का उपयोग करना |
- वानस्पतिक पढ़ार्थ जैसे – नीम,तुलसी आदि की पतियों की घोल का प्रयोग करना |
- ट्रैप फसले जैसे – सरसों,गेदा आदि को लगाना |
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गौ-मूत्र
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नीम- पत्ताी का घोल/निबोली/खली
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मट्ठा
-
मिर्च/लहसु
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लकड़ी की राख
जैविक खाद बनाने की लिए मुख्य स्त्रोत [ The main source for making organic manure ]
- कार्बनिक खाद – जैसे- गोबर की खाद,कम्पोस्ट,मुर्गी की खाद आदि
- वानस्पतिक अवशिष्ट – जैसे – खलिया,पुआल,भूसा,फार्म अवशिष्ठ आदि
- जानवरों के अवशिष्ट – जैसे – हड्डी का चुरा, मछली का खाद,वर्मी कम्पोस्ट तथा गो मूत्र आदि
- सस्य तकनीक – जैसे – फसल चक्र अपनाना,मृदा का सूर्य ताप शोधन,ऍग्रोनेट का प्रयोग,आकर्षक फसल और गर्मी मे मृदा की गहरी जुताई करना आदि
जैविक खाद [Organic manure]
-
वर्मी कम्पोस्ट
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हरी खाद
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जैव उर्वरक (कल्चर)
-
गोबर की खाद
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नाडेप फास्फो कम्पोस्ट
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पिट कम्पोस्ट (इंदौर विधि)
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मुर्गी का खाद
- नाडेप
- बायोगैस स्लरी
निष्कर्ष [ Conclusions ]
हमारे किसान भाइयों को अब जैविक खेती (Organic Farming) की ओर बढ़ना चाहिए | जैविक खेती रासायनिक खेती के अपेक्षा बहुत ज्यादा लाभदायक होता है इसमे लागत भी कम आता है और यह सस्ती, स्वावलम्बी एवं स्थाई होता है| ये हमारी वातावरण को टिकाऊ तथा सुगम्य बनाने मे सहायता करती है | ये अच्छी फसल देने के साथ–साथ हमारी प्रकृति और उसमें रहने वाले लोगों को किसी भी प्रकार का नुकसान नहीं पहुचाती है |
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