
केला की खेती (Banana Farming) केला एक ऐसा फल है जो कि कई तरह के पोषक तत्वों से भरपूर होता है । केले के सेवन करने से हम अपने स्वास्थ्य को बेहतर बनाए रख सकते है । हमारे देश में केले कि खेती बड़े पैमाने पर किया जाता है और इसकी खेती करके आप इससे अच्छी आमदनी भी कर सकते है । केला हमारे देश का प्राचीनतम फल है । यह काफी स्वादिष्ट होता है। केले के फलो का उपयोग पकने पर खाने हेतु तथा कच्चा सब्जी बनाने में किया जाता है । इसके अलावा इसका उपयोग आटा तथा केले का चिप्स बनाने में किया जाता है । इसकी खेती लगभग पूरे भारतवर्ष में कर सकते है । महाराष्ट्र, गुजरात, तमिनाडु,उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश में बहुत ज्यादा पैमाने पर इसकी खेती की जाती है । केले की खेती (Banana Farming) के लिए गर्म जलवायु तथा सम जलवायु उपयुक्त मानी जाती है । कम वर्षा वाली क्षेत्रों में बरसात के समय इसकी खेती करनी चाहिये।
केले की खेती कैसे करें [ How to cultivate banana ]
फलों में केला की खेती (Banana Farming) ही एक ऐसा फसल है जिससे किसानों के आय को बढ़ाने में काफी मदद मिल सकता है । इसकी खेती के लिए कुछ खास बातों को ध्यान में रखना चाहिए । इसकी खेती कम पानी वाले क्षेत्रों में बरसात के समय में केले की खेती (Banana Farming) करनी चाहिए । हमारे देश में किस्मों और क्षेत्र के अनुसार केले कि खेती (Banana Farming) करनी चाहिए । इसकी खेती अपने क्षेत्र के वातावरण के अनुसार करना चाहिए और केले कि किस्मों का भी चुनाव अपने वातावरण के अनुसार ही करना चाहिए ।
केले की किस्म [ Banana variety ]
हमारे यहां लगभग तीन प्रकार की किस्में पाई जाती है ।
1.छोटी उचाई की किस्में
– रोवस्टा, ग्रैदनाइन, हरिछाल आदि इसकी ऊंचाई लगभग 5 से 7 फीट तक होती है ।
पंक्ति की दूरी – छोटी किस्मों की पंक्ति से पंक्ति की दूरी 5 से 6 मीटर और पौधे से पौधे की दूरी 1.5 से 1.75 मीटर रखना अच्छी मानी जाती है ।
2. माध्यम उचाई की किस्में
– चंपा, काठपुरा,कर्पूर वल्ली,सब्ज़ी का केला आदि
पंक्ति की दूरी – माध्यम किस्मों मे पौधे से पौधे की दूरी 2 मीटर और पंक्ति से पंक्ति की दूरी 2 मीटर रखना अच्छी मानी जाती है ।
3. अधिक ऊंचाई की किस्में
– उधम,लाल केला आदि
पंक्ति की दूरी – अधिक ऊंचाई वाले केले कि किस्मों में पौधे से पौधे की दूरी लगभग 2.5 से 2 मीटर और पंक्ति से पंक्ति की दूरी 2.5 से 2 मीटर रखना अच्छा माना जाता है ।
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केले की खेती के लिए गढढे की तैयारी कैसे करे ।
- केले की खेती (Banana Farming) के लिए जो गढढे तैयार की जाती है लगभग 1.5 फूट या 50 CM की आकर की गढढे किए जाने चाहिए। गर्मी के समय में मिट्टी की गुराई कर समतल कर ले और जहा – जहा पर केले की पौधे की रपाई करनी है वाहा – वाहा पर मिट्टी को चिन्हित कर ले वाहा पर गढढे बना ले ।
- लगभग 20 से 30 दिनों तक गढढे को खुला छोड़ दे इससे गढढे में तेज धूप जाने से किट और जीवाणु नश्त हो जायेगे ।
- गढढे में निच्चे की मिट्टी में गोबर की खाद या फिर नीम कि खली का भी प्रयोग कर सकते है ।
- केले के पौधे की रोपाई करते समय आप इस बात का ध्यान रखे कि जब आप पौधों कि रोपाई करते है तब पौधा लगाने के बाद गढढे की मिट्टी की थोड़ी ऊंची भरनी चाहिए । जिससे कि बारिश के समय में मिट्टी नीचे दब जाए और मिट्टी का कटाव नहीं हो पायेगा।
उर्वरक का प्रयोग
वैसे तो खाद और ऊर्वरक की मात्रा मिट्टी कि उर्वरता पर निर्भर करता है । वैसे तो प्रति पौधा 15 किलो गोबर की खाद और नीम की खली आवश्य ही देनी चाहिए । और प्रति पौध 500 ग्राम नीम की खली का प्रयोग जरूर करे । गोबर की खाद और नीम की खली गढढा भरते समय ही मिट्टी में मिलाकर गढढे को भरना चाहिए ।
ध्यान देने योग्य बाते
जब आप केले की खेती करते है तब आप इन बातों को ध्यान मे रखे |
- बरसात के समय मे केले के पौधे के जङो के पास मिट्टी डालना चाहिए |
- केले के बगल मे निकाल रही पुटियों को हटाते रहना चाहिए |
- गर्मियों मे केले की सिचाई 5-6 दिनों के अंतराल पर करते रहना चाहिए |
- सर्दियों मे इसकी सिचाई 12-15 दिनों के अंतराल पर करते रहना चाहिए |
- अगर केले का पौधा कमजोर है और आपको लगता है की वह गीर सकता है तो उसे सहार दे |
- किसी भी प्रकार के रोग के लक्षण आपके केले मे दिखाई दे तो उसका तुरंत रोग निवारण की व्यवस्था करे |
- आपको स्वस्थ कंद अपने खेतों मे लगाना चाहिए |
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